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लखनऊ के सैनीक कॉलोनी निकट रेवतापुर निलमथा में यामिनी चौहान पुत्री पृथ्वी चौहान रेवतापुर थाना पीजीआई को जान से मारने की कोशिश की गई

लखनऊ के सैनीक कॉलोनी निकट रेवतापुर निलमथा में यामिनी चौहान पुत्री पृथ्वी चौहान रेवतापुर थाना पीजीआई को जान से मारने की कोशिश की गई


राजधानी लखनऊ के सैनीक कॉलोनी निकट रेवतापुर निलमथा में यामिनी चौहान पुत्री पृथ्वी चौहान रेवतापुर थाना पीजीआई को जान से मारने की कोशिश की गई। क्षेत्रीय लोगों एवं पार्वती समाज के द्वारा यामिनी को न्याय दिलाने के लिए सब लोग एकजुट होकर विजयनगर चौराहे से रेवतापुर गांव अपराधी पंकज रावत के घर तक गए। सभी लोगों ने पंकज रावत मुर्दाबाद,कानून व्यवस्था मुर्दाबाद के नारे लगाए। इस प्रदर्शन में पार्वती समाज और सभी क्षेत्रीय लोग शामिल हुए। जल्द से जल्द यामिनी के अपराधियों पकड़ा जाए और उसे पूर्णता न्याय दिलाया जाए

पुरा मामला थाना पीजीआई लखनऊ के अन्तर्गत का है-यामिन ट्यूशन पढ़कर रेवतापुर गांव से 7 बजे अपने घर वापस आने के लिए बाहर निकली तो उसने देखा की उसकी स्कूटी पंचर है। वह कुछ सोच हि पाती कि पंकज रावत निवासी रेवता पुर अपने दो अन्य साथियों के साथ पूरी साजिश योजना वा जान से मारने की नीयत से यामिनी के गले के दुपट्टे को फंदा बनाकर घशिटते हुए धारदार हथियार के साथ वार पर वार करने लगे। यामिनी के सर पर 7 से 8 बार धारदार हथियार से मार गया। उसके बाद यामिनी की पीठ और हाथ पर कई बार चाकू से वार किया। दरिंदगी की सीमा को पार कर दिया।किसी तरह यामिनी लड़खड़ाते हुए जहां ट्यूशन पढ़ा रही थी। उस घर पर घुस गई घर के मालिक ने हिम्मत दिखाई और यामिनी के घर वालों को सूचित किया और अपनी गाड़ी से कमांड हॉस्पिटल लेकर गए। डॉक्टरों की टीम के द्वारा यामिनी का लगभग 3 घंटे तक ऑपरेशन चला तब जाकर वह होश में आई। यामिनी की हालत अभी नाजुक बताई जा रही है। क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक यह तीनों युवक नशे के आदि हैं। साल भर पहले पंकज रावत ने यामिनी को छोड़ा था तो यामिनी ने थाना पीजीआई में कंप्लेन किया था। तब पंकज रावत में माफी मांगते हुए कहा मैं अब ऐसा कभी नहीं करूंगा मुझे मांफ कर दीजिए।तब यामिनी ने अपनी कंप्लेन थाने से वापस ले थी। क्षेत्रीय लोगों का कहना है। इतनी सख्त कानून व्यवस्था के बाद भी अपराधियों के हौसले बुलंद है। ऐसे लोगों से कोई भी वर्ग सुरक्षित नहीं है। ऐसे अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दे कर समाज को भाव मुक्त करने की बहुत जरूरत है


सह संपादक अनिल कुमार रावत की खास रिपोर्ट 

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